अब यह तुमने
क्या कह डाला
इश्वर को "कल्पित "
कह डाला ?
सोचो -रचा
उसीने तुमको /
क्यूँ भूले वह
रचता सबको ?
तुम अब रूप ही
उस का रचते /
जैसा रचते
वैसा बनते /
फिर तुम हो
अंश मात्र ही ,
रचना उसकी
नाम मात्र ही /
उसको तो क्या
रच पाओगे
क्या अपने को
रच पाओगे ?