28 फ़र॰ 2012

प्रेम लय

वो जब जब ख्वाबों में आती
नए नए रूपों में आती
प्रेम कुञ्ज में बैठे होते
शांत मौन कुछ कहने आतुर
एक शब्द भी कह न पाते
शब्द शब्द ही बने महत्व का
पलकों में जुगनू से दीखते
अश्रु मोती बन ढल जाते
यू सब कहा अनकहा होता
मौन नयन मोती कह जाते
होंठों के कम्पन सी वो लयप्रेमी उस लय में रम जाते //

Featured Post

नेता महान

मै भारत का नेता हूँ  नेता नहीं अभिनेता हूँ  चमचे चिपकें जैसे गोंद  धोती नीचे हिलती तोंद // मेरी तोंद बढे हो मोटी  सारे चेले सेंक...