5 अग॰ 2012

"चल भ्रम उड़ जा "

अब शोर बीच यूँ
कुछ तो बोलो 
इस चुप्पी को 
कुछ तो खोलो /
ढूंढ रहा यूँ 
कब से तुमको 
धुंध हटा अब 
देख  उजाला  
इस जग में 
मत रह  मतवाला 
आँख नशीली 
खोल ,  बोल अब  /
यही रहस्य तो 
यही  सौंदर्य  है /
अब भ्रम उड़ जा 
उड़ बादल सा 
आ यथार्थ अब 
दूर उड़ा जा 
स्वप्न चिरैया 
दूर कहीं अब 
आ प्रभात रवि 
उद्भासित कर जा 
चल भ्रम उड़ जा /

5 टिप्‍पणियां:

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ७/८/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है |

Farhat Ali Khan Yousufzai ने कहा…

behad umda likha hai sir...

Unknown ने कहा…

अच्छी रचना

Isha ने कहा…

bahut khoob........

https://ntyag.blogspot.com/ ने कहा…

Thnx

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